बस कंडक्टर ने पूरी बस को टिकिट नहीं दिया
दिनांक 8 अगस्त 2010 को झालावाड से इंदौर (वाया भवानीमंडी) बस (आरजे 17 पीए 0231) के कंडक्टर ने उज्जैन से बस में करीब 50 सवारी बैठाई, लेकिन टिकिट केवल 10 यात्रियों के बनाये.
उसका कहना था कि मैं सभी अफसरों और नेताओं को अपनी जेब में रखता हूँ, जितने पैसे बनाता हूँ सबको उसमे से हिस्सा देता हूँ, इसलिए कोई कुछ नहीं कहता. उसका इससे पहले 2 जुलाई 2010 को भी उसने यहाँ (उज्जैन) से करीब 60 सवारियों को बिठाया था, लेकिन टिकिट केवल कुछ यात्रियों को दिया. कंडक्टर अपना नाम मदान बता रहा था. उसका कहना था कि मैं 10 अखबारों के लिए काम करता हूँ, सबके मेरे पास कार्ड हैं.उसका कहना था कि राजा (दिग्विजयसिंह) और अशोक गेहलोत मेरे लिए कुछ भी करने को तैयार है, मैंने ही उन्हें इस मुकाम तक पहुँचाया है.
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