Here is a news in today's ie. 14th Oct. 2010 Navbharat Times - Mumbai.
ब्याज का लालच देकर सैकड़ों घर बर्बाद कर दिए
14 Oct 0432 hrs IST, नवभारत टाइम्स
सुनील मेहरोत्रा।। मुंबई
नामी से नामी बैंक या फाइनैंस कंपनियां आज के जमाने में किसी इनवेस्टमेंट पर 20 या 25 प्रतिशत सालाना से ज्यादा ब
्याज नहीं देतीं। ऐसे में यदि कोई कंपनी 350 प्रतिशत ब्याज देने का लालच दे, तो स्वाभाविक है सैकड़ों -हजारों लोग उसकी कंपनी में आंख बंद कर पैसा निवेश कर देंगे। महाराष्ट्र और आंधप्रदेश के भी तमाम लोगों ने ऐसा ही किया और अब वे अपनी किस्मत को रो रहे हैं। इन सबको आर्यरूप टूरिज्म एंड क्लब रिसॉर्ट प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी ने 350 प्रतिशत सालाना ब्याज का लालच देकर करोड़ों रुपए की चपत लगा दी।
मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने इस कंपनी के बांदा और पुणे में पाश इलाकों में स्थित दफ्तरों को सील कर दिया है और आरोपियों की तलाश कर रही है। कंपनी के जयपुर दफ्तर को भी सील किए जाने की तैयारी चल रही है। यही नहीं, कंपनी के पांच बैंक अकाउंट भी पुलिस ने सील कर दिए हैं। पता चला है कि इस कंपनी को कोई रवींद्र देशमुख नाम का शख्स चलाता था।
पुलिस सूत्रों के अनुसार महाराष्ट्र में नांदेड और नंदुरबार जैसे छोटे शहरों के लोगों ने इस कंपनी में सबसे ज्यादा निवेश किया। इसकी मूल वजह यह भी रही कि कंपनी की तरफ से यह बात भी खूब प्रचारित की गई कि कंपनी जैविक खेती के बिजनेस से भी जुड़ी हुई है और इस कारण कंपनी की तरफ से अपने विज्ञापनों में दावा किया गया कि उसकी कंपनी में निवेश करने की वजह से बहुत से किसान रंक से राजा बन गए। यह विज्ञापन अंग्रेजी और तमाम प्रतिष्ठित भाषाई अखबारों में छपे। इन विज्ञापनों का भी निवेशकों पर बहुत असर पड़ा।
इस कंपनी में लोगों ने इसलिए भी खूब निवेश किया, क्योंकि विज्ञापनों में लोगों से दावा किया गया कि कंपनी के देश भर में दर्जनों रिसोर्ट हैं, जहां निवेशकों को निवेश के बाद मुफ्त में रहने की सुविधा दी जाएगी। निवेशकों से यह भी कहा गया कि यदि कोई निवेशक कंपनी के सामने दो नए निवेशक लाएगा, तो नए निवेशकों को लानेवाले को 10 प्रतिशत अतिरिक्त ब्याज दिया जाएगा। कंपनी प्रतिष्ठित लगे, इसलिए बीच- बीच में तमाम बड़ी हस्तियों द्वारा इस कंपनी का प्रचार भी किया गया। पुलिस सूत्रों के मुताबिक शुरुआत में इस कंपनी ने लोगों को वायदे के मुताबिक 350 प्रतिशत ब्याज और तमाम सुविधाएं भी दीं, पर जब कंपनी के पास करोड़ों रुपए इकट्ठा हो गए, तो कंपनी ने इस साल जनवरी से लोगों को ब्याज के रुपये देने बंद कर दिए। इस मई महीने से कंपनी ने अपने सारे दफ्तर बंद करने शुरू कर दिए। इसी के बाद लोगों ने पुलिस से संपर्क करना शुरू किया और इसी के बाद मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने अपनी जांच करनी शुरू कर दी।
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